लौहार वंश के अंतिम शासक
लौहार राजवंश के शासक
लोहारराजवंश के शासको की सुचि
लौहारवंश का संस्थापक संग्रामराज था। संग्रामराज की बाद अनन्त पर इस वंश का शासक हुआ। उसके प्रशासन में उसकी पत्नी रानी सूर्यमती सहयोग करती थी।
राजा संग्रामराज - (संग्रामराजा /क्षमापति) 1003 ई. दिद्दा का भतीजा। उसकी मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठा, और कश्मीर पर लोहारा वंश का शासन शुरू हुआ|
हरिराज - 22 दिन 1028 ई. |
राजाअनन्त - यह भी संग्रामराज के समान शक्तिशाली राजा था। इसने अनेक सामंतों के विद्रोहों का सफलतापूर्वक दमन किया तथा मुस्लिम आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया। इसकी रानी 'सूर्यमती' प्रशासन के सुधार में उसकी सहायता करती थी।
कलशा (राणादित्य द्वितीय) - 1063 ई. अपने माता-पिता के खिलाफ विद्रोह किया, जिसके कारण उनके पिता अनंत ने आत्महत्या कर ली, उसके बाद उनकी मां ने सती -आत्महत्या कर ली। उनके बेटे हर्ष ने उनके खिलाफ विद्रोह किया, और उन्हें कैद कर लिया गया।
उत्कर्ष - 22 दिन 1089 ई. कलश का दूसरा पुत्र। उसके सौतेले भाई विजयमल्ल ने उसके खिलाफ विद्रोह किया और हर्ष को जेल से रिहा करवाया। उत्कर्ष को कैद कर लिया गया और उसने आत्महत्या कर ली |
राजाहर्ष - कलश का उत्तराधिकारी उसका पुत्र 'हर्ष' हुआ। हर्ष स्वयं विद्वान, कवि एवं कई भाषाओं का ज्ञाता था। 'कल्हण' 'हर्ष' का आश्रित कवि था। अपनी विद्वता के कारण हर्ष काफी प्रसिद्ध था किन्तु विद्वान होने के साथ-साथ वह क्रूर एवं अत्याचारी था। भोग विलास के सामानों पर वह धन पानी की तरह बहाता था तथा
जनता पर अत्यधिक मात्रा में कर लगाता था, इस कारण जनता मे उसकी लोकप्रियता कम हो गयी। अतः सामंतों ने लोहार वंशीय 'उच्छल एवं सुस्सल' नामक भाइयों के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया जिसको दबाने के प्रयास में हर्ष की 1101 ई0 में मृत्यु हो गयी।
उच्छल-सुस्सल-शिक्षाचर- राजतरंगिणी से पता चलता है इन्होने कुछ समय तक कश्मिर को अपने अधिकार में ले लिया था।
दूसरा लोहारा राजवंश
उच्छला - अपने भाई सुस्साला को लोहारा का शासक बनाया। राड्डा द्वारा हत्या कर दी गई।
रद्दा (शंखराज) - यशस्कर का वंशज होने का दावा करते हुए सिंहासन हड़प लिया|
सलहाना - रद्दा की मृत्यु के बाद उच्चला का सौतेला भाई राजा बना। असली सत्ता गर्गचंद्र नामक एक कुलीन के हाथ में थी। सलहना को पदच्युत कर कैद कर लिया गया।
सुस्साला - उच्चला का भाई; गर्गचंद्र के समर्थन से सिंहासन पर बैठा |
भिक्षाचारा - हर्ष का पौत्र, जो उच्चला के विद्रोह से बच निकला था। मालव के राजा नरवर्मन द्वारा पाला गया । सुशाल को पदच्युत किया।
सुस्साला - (दूसरा शासनकाल) भिक्षाचार के राज्यारोहण के 6 महीने के भीतर सुस्साला ने अपनी राजधानी पुनः प्राप्त कर ली, जिसके कारण गृहयुद्ध छिड़ गया|
राजा जयसिंह (1128-1155 ई0) - हर्ष की मृत्यु के बाद कश्मीर का इतिहास अराजकता, अशान्ति एवं अव्यवस्था का इतिहास है। जयसिंह इस वंश का अंतिम प्रतापी राजा हुआ। इसने यवनों को पराजित किया था।
लोहार वंश का अन्तिम शासक जयसिंह था। अपने शासनकाल में उसने यवनों को परास्त किया था। 1339 ई. में कश्मीर तुर्को के कब्जे में आ गया। जयसिंह कल्हण की राजतरंगिणी का अन्तिम शासक था। उसी के समय में राजतरंगिणी पूर्ण हुयी। तुर्क शासकों में सर्वाधिक लोकप्रिय शासक 'जैनुल आबदीन' था जिसे 'कश्मीर का अकबर' कहा जाता है।
कल्हण की राजतरंगिणी का विवरण जयसिंह के साथ ही समाप्त हो जाता है।
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