लौहरराजवंश पतन




लोहार वंश का संस्थापक संग्रामराज था। संग्रामराज की बाद अनन्त पर इस वंश का शासक हुआ। उसने अपने शासन काल में सामन्तों के विद्रोह को कुचला। उसके प्रशासन में उसकी पत्नी रानी सूर्यमती सहयोग करती थी। अनन्त का पुत्र कलश एक कमज़ोर शासक था।



हर्ष- कलश का पुत्र हर्ष विद्वान, कवि एवं कई भाषाओं एवं विद्याओं का जानकार था। राजतरंगिणी का लेखक कल्हण, हर्ष का आश्रित कवि था। राज्य में आन्तरिक अशान्ति के कारण हुए विद्रोह में लगभग 1101 ई. में हर्ष की हत्या कर दी गयी। हर्ष को कश्मीर का 'नीरो' भी कहा जाता है। उसके शासन काल में कश्मीर में भयानक अकाल पड़ा था। उसके अत्याचारपूर्ण कार्यो से त्रस्त होकर उत्सल एवं सुस्सल नामक भाईयों ने विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह में हर्ष के पुत्र भोज एवं हर्ष दोनों की हत्या कर दी गयी।


लोहार वंश का अन्तिम शासक जयसिंह (1128-1155 ई.) था। अपने शासनकाल में उसने यवनों को परास्त किया था। 1339 ई. में कश्मीर तुर्को के कब्जे में आ गया। जयसिंह कल्हण की राजतरंगिणी का अन्तिम शासक था। उसी के समय में राजतरंगिणी पूर्ण हुयी। तुर्क शासकों में सर्वाधिक लोकप्रिय शासक 'जैनुल आबदीन' था जिसे 'कश्मीर का अकबर' कहा जाता है।

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